मेरा गाँव
कितना सुन्दर है मेरा गाँव
लहलहाती फसलें हैं,
पेड़ों में फले हैं जामुन और आम,
कितना सुन्दर है मेरा गाँव।
जहाँ घर मेरा है,
वहीं एक बुलबुल का भी डेरा है,
अक्सर कौवे भी करते हैं काँव-काँव,
कितना सुन्दर है मेरा गाँव।
हर तरफ प्रकृति की माया है,
कहीं धूप तो कहीं छाया है,
कभी चलने पर जलते हैं पाँव,
कितना सुन्दर है मेरा गाँव।
जुगनू की रोशनी से चमकता है गाँव,
रंग-बिरंगी तितलियाँ हैं..
और है बरगद की छाँव,
कितना सुन्दर है मेरा गाँव।
बुजुर्गों की गालियाँ हैं,
उनकी अनोखी कहानियाँ हैं..
उन्हें पता है जीवन जीने के सारे दाँव,
कितना सुन्दर है मेरा गाँव।
:- शिवम् मिश्रा
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